पुराने ज़माने की बात है तेजस्वी ईश अवतार ऋषि धनवंतरी अपने आश्रम में
शिष्यों को सम्बोधित कर रहे थे। इतने में एक बुद्धिमान व्यक्ति पहुंचा और
ऋषि से प्रश्न लगा -
काउ रुखु , काउ रुखु, काउ रुखु
ऋषि जी ने जवाब दिया - हित मुख , मित मुख , ऋतू मुख
वह
व्यक्ति प्रसन्न हो कर वहां से चले गया पर शिष्यों को कुछ भी समझ नहीं
आया। और ऋषि से निवेदन किया गुरुवार हम को विस्तार से समझाए , और वहां पर
आयुर्वेद के भगवान धन्वन्तरि जी समझते है , तीन शब्दों में पूरा रहस्य मई
ज्ञान दे दिया। इस भारत खंड में यह परम्परा रही है की ज्ञान हमेशा सांकेतिक
भाषा में इस कही गयी है. आईये देखे धनवंतरि क्या कहरहे है।
इस जीवन को सम्पूर्णता से जीने के लिए ३ नियम कहे है यहां। कैसे खाएं ?
१) हित मुख - इस प्रकार का भोजन खाएं जो शरीर का हित करें न की नाकि स्वाद के लिए , अपने शरीर तत्व के अनुसार भोजन का चयन करें. ( क्या हमारे तत्वों के बारेमे पता है?)
२) मित मुख - भोजन की मात्र ३/४ भाग ही खाएं न की पेट भर कर ठूस ले , और १/४ भाग पानी के लिए जगह छोड़ दे. (क्या हम मित मुखी हैं ?)
३)
ऋतु मुख - ऋतु के अनुसार अपना भोजन व्यवस्तित करेलें , अगर का मौसम में
गर्मी ज्यादा है या बरसात हो रही या अन्य तरह का व्यवधान है। (क्या हम ऋतु को ध्यान में रख कर खाना कहते है )
और इस तरह सम्पूर्ण जीवन स्वस्थ्य रहने का खजाना खोल दिया है.भले ही यह एक कहानी की तरह कही गयी हो इसमें ही जीवन है.
No comments:
Post a Comment
Note: Only a member of this blog may post a comment.