Sunday, February 8, 2015

चार सुख

चार सुख




पहला सुख : निरोगी हो काया 
 काया वो सीढ़ी है जिस पर चढ़ कर मोक्ष के आसमान तक जाया जाता है ,  सीढ़ी ही ख़राब हो तो स्वर्ग के  साक्षात्कार   के सपने देखना भी  बेईमानी होगी , बीमार ,लाचार , दुखी , हाय दैया करने वाले आत्माए  कभी भी साधना नहीं कर सकती  , स्वस्त ,शरीर को साधने वाला , ऊर्जा को संजोएके  रखने वाला , अपने इन्द्रियोंको सयंमित करने वाला , जीवन की हितकारी और अहितकारी नियमो का पालन करने वाला ही  निरोगी रह सकता है , जो करना है जवानी में करलें, बुढ़ापा में  कोई उल्लू सीधा नहीं होता , संस्कारो में पड़ी हुई जगण्या आदते को मोड़ कर सीधे रस्ते में लाना एक बूढ़े शरीर की बस की बात नहीं है। हमारे यहां चार आश्रम बतये गए है ऐसा दलील कई लोग देते है की ये सब बुढ़ापे की बातें है अभी तो जवानी है आओ आँखे चार करले। 
 ब्रह्मचर्य ,गृहस्त ,वानप्रस्त और सन्यास , अरे भाई कभी ब्रह्मचर्य का पालन ठीक ठीक तरीके से गुरु से सीखकर ,गुरु की आज्ञा लेकर ,ग्रहस्त में प्रवेश किया हो तो न  सन्यास लपाओगे आखरी में , जवानीतो पुरे दुर्गुणों की खान बनाएंगे और बुढ़ापे में स्वर्ग की आस लगाएंगे तो दुर्गति निश्चित है ,बेटे बहु पर  खीज ने से कुछ नहीं होगा , खुद कभी साधना किया नहीं, जबान पर कंट्रोल नहीं और ज्ञान देते फिरने से क्या फायदा , 
जो करना है जवानी में करलो। काया को जिन्होंने  निरोगी रखा अपना रास्ता भी सुगम बना लिया। स्वस्थ शरीर   यह  दुर्लभ  है
काया वह सीढ़ी है जिससे स्वर्ग का रास्ता तय होता है। …बुद्धा

दूसरा सुख : घर में हो  माया 
 कबीर कहते है  माया को झूठा कहे झूठे उनके ज्ञान ,माया से सब होत है यज्ञ ,तप और दान, और आगे भी  कहते है , साधु इतना दीजिये जमे कुटुंब समाय मै भी भूखा न रहूँ और साधु भी भूखा न जाए। धन सम्पति के बिना यज्ञ , तप  और दान भी नहीं हो सकता इसलिए , अपना काम छोड़ कर अन्यत्र विचरण करना (जैसे कई लोग अपनी हॉबी को ही जिंदगी समजने का भ्रम पलते  है ।)  इतना तो कमालो की घरबार  ठीक से चललो और जो अंगन्तुक  है उसको को भी बिना परेशानी के खिला सको , यह भी जवानी में करने की बात है।बाद में कुछ नहीं होगा। घर में माया का टिकना भी दुर्लभ है 

तीजा सुख : गुणवंती नारी       
 अच्छे गुणों से लबालब भरी औरत घर को ही स्वर्ग बना देती है ,  रूप और  रंग  देखने वालो को यह बात कहाँ भाएगी। ग्रहणी माकन को घर बनती है तो घर को बर्बाद भी कर सकती है , ज्यादातर लोग जो शिकायत अपनी पत्नी की करते है वह कभी भी उस नारी की सपोर्ट सिस्टम को नहीं देख पाये होंगे , उसका सहिष्णुता नहीं देख पाये होंगे , उसकी टॉलरेंस पावर नहीं देख पाये होंगे , उसका विवेक नहीं देख पाये होंगे.
पूरी घर की सपोर्ट होती है , और जिस सप्पोर्ट पर निभर्र पूरा परिवार होता है वह अच्छी गुणोंवाली नहीं हो खाली रंग और रूप में सुन्दर हो तो घर एक कब्रिस्तान बनना निश्चित है जहाँ इंसान नहीं बस्ते और न कोई आता जाता है। और इस गुणकारी नारी की सर्वत्र पूजा की जानी  चाहिए , क्यों की उसने सरे घर को अपने ऊपर संभल कर रखा। नारी का दर्जा नर के बराबर का है , एक दम बराबर का  , बस स्व धर्म अलग अलग है। जो लोग चिकनी मिटटी को देख कर फिसल गए उन्होंने घर को कूड़े दान बना लिया. जिनकी  आरती ,अर्चना दिन रात करते हो  ऐसे युग प्रवर्तक का जनम भी एक नारी से ही हुआ। गुणवंती नारी को सलाम। गुणवंती नारी भी दुर्लभ है।

चौथा सुख : पुत्र अधिकारी     
 आज्ञा करी पुत्र तो कहीं कहीं मिल भी जाते  है,पर  अधिकारी पुत्र दुर्लभ है.पिता का पुत्र बनना आसान बात नहीं है , ज्यादातर लोग आज्ञाकारी पुत्र कहते है , पर आज्ञा का यथावत पालन गुलामयत की निशानी , एक पिता अपने बच्चे में  उत्तराधिकारी ढूंढता है , न की गुलाम, अपने पिता के स्वप्नों को सच कर दिखाने वाला ही सच्चा अधिकारी पुत्र है। God doesn't want great men, he want those who can prove his greatness to the world.. परमेश्वर महान पुत्र नहीं चाहता , वह उस पुत्र को चाहता है जो संसार को बता सके की मेरा पिता महान था। ऐसा पूत बनजाये  जाये तोह वारे न्यारे हो जायेंगे। अधिकारी पुत्र तो अति दुर्लभ है।
  कबीर कहते है 
पाँच पहर धंधे गया, तीन पहर गया सोय ।
एक पहर हरि नाम बिन, मुक्ति कैसे होय ॥

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