Saturday, February 7, 2015

ब्रह्माण्ड के संकेत , सचेत करने के लिए। .!!!




ब्रह्माण्ड के संकेत , सचेत करने के लिए। .!!!

ज्यादातर लोग यही मानते है की घटना युही होगई ,पर अगर अपने अंतर मन से संपर्क हो जाये तो पता चलेगा की जो कुछ भी होता है वो सब हमारी ही रचना  है। हाँ हमें इसकी जान करी न हो यह सम्भव है ,हम हर क्षण क्या रचते है इसकी जानकारी भले ही हमें न हो पर खुशकिस्मती से प्रकृति (ब्रह्माण्ड) हमें सचेत करता है; कई संकेत देकर, कि  हमारा पथ ठीक है और भी महत्वपूर्ण है की हम कब गलत पथ पर है।

साधारणतः ब्रह्माण्ड से चेतावनी किसी अनचाही परिस्थिति या संघटनाओ के माध्यम से आते है , यह संकेत इंगित करते है हमरी ऊर्जा का प्रवाह निम्न या शून्य कम्पन (low vibration frequency) फस गयी या अत्यंत धीमी गति से प्रवाह हो रही है ,आप अनुभव कर सकते है  की आपके धरा प्रवाह विचार  ,आपके अनुभव आपके कृत्य सब कुछ नेगेटिव हो गए हैं और परिणाम स्वरुप अनचाहे परिस्थितियों कर निर्माण करते जा रहे है।

ठीक इसका उल्टा जब जीवन में आप के विचार , अनुभव , कृत्या जब ऊंचे कम्पन पर होते है तो हर कार्य परफेक्ट हो रहा होता है , आपका समय , आप का  भाग्य अच्छा चल रहा होता है , हर कार्य ठीक ठीक अपने समय से हो रहे होते है ,सौभाग्य आपके कदम चूम रहा होता है ,आपका सुबह से रात्रि तक अच्छा वक़्त निकल ता है , इसिलए अपने वाइब्रेशन का चुनाव जानबूझकर पॉजिटिव और बढ़के रखना महत्वपूर्ण है

हमारे पास क्षमता होने के बावजूद इसे हमेशा पोसिटिव और बड़ाके रखना बहुत मुश्किल होता है , इसका कारण जानकार बताते है की हमारी अंतरात्मा इस धरती (स्थूल काया  ) और आकाश (सूक्ष्म काया ) के फस जाना है ,ऊंचे कम्पन में सूक्ष्मता का परवाह है , और निम्न कम्पन में स्थूल काया का। सूक्ष्म हमारी अंतर आत्मा है और स्थूल काया जगत।

इसके परिणाम स्वरुप हम अनचाहे परिणामों में फस जाते है , बार बार , पर यह ठीक है जबतक सूचनाओ  के माधयम से हमें संकेत चिन्ह  प्राप्त होते है और उन संकेतो को शुभ मानकर जल्दी से हमारे फूला हुआ अहंकार को  ठीक ठीक जगह स्तिथ करलें। और सही राह फिर से आजाएं।

यहां कुछ संकेतो का जो  मेरे अनुभव में आये उनका उल्लेख करता हूँ ,जो की ब्रह्माण्ड का संकेत मानकर स्वीकार किया और आगे बढ़ गया , आप अपने संकेत ढूंढे।

१) अपना पैर किसी मेज़ या कुर्सी से अचानक टकरा जाना
२) लोगों की नजर आप पर  बुरी तरह से पड़ना,या  गन्दी बातें कहना।
३) अपने आपको किसी अनचाही जगह जैसे  लिफ्ट या ट्रैफिक में बुरी तरह से फस जाना (रस्ते और थे पर हमने ही उसदिन वह रास्ता चुना जिस में फस गए )
४) चोट लगना या हाथ छिल जाना या काटना
५) अचानक से आपके खर्चे कई गुनाह बढ़ जाना।
६) अचानक से सब कुछ बुरा लगना
७) अपने लोगों से  बिन बातके चिल्ला - चोट करना
८) बार -बार बीमार पड़ना,  कारण नासमझ पाना
९) बिन बात के सर दुखना ,और वो भी बार बार
१०) अपनी कमाई या कीमती वास्तु अचानक से  खो जाना।

हर एक संकेत यह इंगित करता है की आप आपने  को फूले हुए अहंकार को वापस ठीक जगह लाकर  रख दे , और ऊर्जा कम्पन vibration से तालमेल मिलाये। जब कभी भी इस तरह की घटनांए आप के साथ हो तो तुरंत रुख जाये , सारा अन्य कार्य छोड़ दे , जिसे  करते हुए वह घटना घाटी वहां से अपने आपको अलग करले, उसमे आगे भी आसक्ति नहीं दिखाए ,  पीछे हट जाएँ।

समाधान  : अब आप को क्या करना है मै ;मेरे अनुभव  पर कह ता हूँ.

१) सबसे पहले गहरी सॉस ले , अपनी सांस पर धयान केंद्रित करें , अपने को सजग बनालें।
२) अगर आप पर गहरा आघात हुआ है तो वही पर कही बैठ जाएँ और २ मिनट का धयान करें.
३) परमेश्वर को धन्यवाद दे की उसने संभाल लिया। 

४) अगर आप संकेत जल्दी से समझ लेंगे तो अपने आपको सकेंद्रित मन (मन विकेन्द्रित हो गया था ) कर सकते है।

५) अपने आप को नेगेटिव विचार धरा के प्रवाह से बचाए , भय और अपशगुन जैसी धारणा से बचे।



आखरी बात यह धयान दे  की जितने भी संकेत यहाँ बताया गया है , उनके ऊपर ज्यादा नहीं सोचे , सोच सोच कर अपनी ऊर्जा को निम्न फ्रीक्वेंसी पर ले जायेंगे , इसलिए सरलता से अपने आप को अपनी ब्रह्माण्ड  की फ्रीक्वेंसी से मिला ले जो की शांत मन जो तो अपने आप सुनाई देता है (sound of silence), आपके कार्य  अपने आप सादगी से चलते जायेंगे।


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